मुंबईः अभिनेता आमिर खान ने कहा कि भारत एक “फिल्म प्रेमी” राष्ट्र है, लेकिन इसकी अधिकांश आबादी के पास सिनेमा तक पहुंच नहीं है। वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) के दूसरे दिन बोलते हुए 60 वर्षीय अभिनेता ने कहा कि फिल्म उद्योग के विकास का समर्थन करने के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया।
मेरा मानना है कि हमें भारत में बहुत सारे थिएटर की आवश्यकता है। देश में ऐसे जिले और विशाल क्षेत्र हैं, जहाँ एक भी थिएटर नहीं है। अभिनेता ने कहा कि सिनेमा स्क्रीन की संख्या के मामले में भारत अमेरिका और चीन जैसे देशों से पीछे है।
खान ने शुक्रवार को कहा कि भारत फिल्म प्रेमी देश है लेकिन देश की बड़ी आबादी अमेरिका और चीन जैसे देशों की तुलना में सिनेमाघरों तक नहीं जा पाती। यहां आयोजित पहले ‘विश्व दृश्य श्रव्य और मनोरंजन सम्मेलन’ (वेव्स) के दूसरे दिन आमिर खान (60) ने एक सत्र में भाग लिया जिसका शीर्षक था ‘स्टूडियोज ऑफ फ्यूचर: पुटिंग इंडिया ऑन वर्ल्ड स्टूडियो मैप’।
उन्होंने कहा कि मनोरंजन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अवसंरचना में निवेश बहुत जरूरी है। अभिनेता ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि हमें भारत में और भी ज्यादा थिएटर और अलग-अलग तरह के थिएटर की जरूरत है।
देश में कई जिले और बड़े-बड़े इलाके हैं, जहां एक भी सिनेमाघर नहीं है। पिछले कई दशकों में हमने जो भी समस्याएं झेली हैं, वो सिर्फ ज्यादा स्क्रीन की कमी से संबंधित हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘और मेरे हिसाब से, हमें इसी में निवेश करना चाहिए। भारत में बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन इसका एहसास तभी हो सकता है, जब आपके पास देश भर में ज्यादा स्क्रीन हों। अगर ऐसा नहीं होगा, तो लोग फिल्में नहीं देखेंगे।’’
आमिर ने कहा कि भारत सिनेमाघरों और बड़े पर्दों की संख्या के मामले में अमेरिका और चीन से काफी पीछे है। उन्होंने कहा, ‘‘देश के आकार और यहां रहने वाले लोगों की संख्या के हिसाब से हमारे पास बहुत कम सिनेमाघर हैं।
मुझे लगता है कि हमारे पास करीब 10,000 स्क्रीन हैं। अमेरिका में, जिसकी आबादी भारत की एक तिहाई है, 40,000 स्क्रीन हैं। इसलिए वे हमसे बहुत आगे हैं। चीन में 90,000 स्क्रीन हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इन 10,000 स्क्रीन में से भी आधे दक्षिण में हैं और बाकी आधे देश के बाकी हिस्सों में हैं। इसलिए एक हिंदी फिल्म के लिए मोटे तौर पर यह संख्या करीब 5,000 है।’’
आमिर खान ने कहा कि बड़ी सफल फिल्मों की भी बात करें तो बहुत कम लोग इन्हें सिनेमाघरों में देख पाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में, जिसे फिल्म प्रेमी देश के रूप में जाना जाता है, केवल दो प्रतिशत आबादी ही सिनेमाघरों में हमारी सबसे बड़ी हिट फिल्में देखती है। बाकी 98 प्रतिशत लोग कहां फिल्म देखते हैं?’’
अभिनेता ने निराशा जताते हुए कहा कि देश में कोंकण जैसे क्षेत्रों समेत कई इलाकों में सिनेमाघर हैं ही नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘इन इलाकों के लोग फिल्मों के बारे में सुनेंगे, ऑनलाइन इस बारे में जानकारी देखेंगे लेकिन उनके पास इन्हें देखने का कोई तरीका नहीं है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। इसलिए हमें सबसे पहले यह करना होगा कि सिनेमाघरों की संख्या बढ़े।’’











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