इंफालः विपक्षी कांग्रेस ने बुधवार को मणिपुर के 21 विधायकों पर राज्यपाल को दरकिनार कर प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर राज्य में लोकप्रिय सरकार बहाल करने का आग्रह करने का कहा है।
मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष कैशम मेघचंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि इन 21 विधायकों को पहले राज्यपाल अजय कुमार भल्ला के पास जाकर अपना अनुरोध करना चाहिए था, लेकिन ऐसा किए बिना उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर राज्य में लोकप्रिय सरकार बहाल करने का आग्रह किया।
मणिपुर विधानसभा के सदस्य सिंह ने कहा कि 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगी दलों – नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ), जनता दल (यूनाइटेड) और दो निर्दलीय विधायकों के 21 विधायकों ने मणिपुर में अपनी सरकार स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखा।
पत्र लिखकर उनसे राज्य में शांति और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए ‘‘चुनी हुई सरकार’’ बहाल करने का आग्रह किया है। मणिपुर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है। केंद्र ने 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था, जहां मई 2023 से मेइती और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के बाद राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। राज्य विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक है, जिसे निलंबित कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री को अलग-अलग लिखे गए इन पत्रों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 13 विधायकों, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नगा पीपुल्स फ्रंट के तीन-तीन विधायकों और दो निर्दलीय विधायकों ने हस्ताक्षर किये हैं।
इसमें कहा गया है, ‘‘मणिपुर के लोगों ने राष्ट्रपति शासन का स्वागत किया है…बहुत उम्मीद और अपेक्षा के साथ। हालांकि, तीन महीने होने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं देखी गई है।’’
इस पत्र में कहा गया है, ‘‘लोगों में इस बात की प्रबल आशंका है कि राज्य में फिर से हिंसा हो सकती है। कई नागरिक संगठन राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं और एक लोकप्रिय सरकार की स्थापना की मांग कर रहे हैं।’’
विधायकों ने 10 अप्रैल को लिखे पत्र में कहा, ‘‘इन संगठनों ने सार्वजनिक रैलियां, नुक्कड़ सभाएं आयोजित करना, आम जनता को भड़काना, सत्तारूढ़ विधायकों पर लोकप्रिय सरकार बनाने का दावा न करने का आरोप लगाना तथा राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए जिम्मेदारी तय करना शुरू कर दिया है।’’