पटनाः केन्द्र की मोदी सरकार के द्वारा देश में जातीय गणना कराने के फैसला लिए जाने के बाद अब क्रेडिट लेने की लड़ाई भी शुरू हो गई है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा है देश में 30 साल पहले संयुक्त मोर्चा की सरकार ने इसपर फैसला मंजूरी दे दी थी।
लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2001 की जनगणना में इस पर अमल नहीं किया है। लालू यादव ने जातीय गणना कराने के फैसले को लेकर लिखा कि इसके लिए वह मुलायम सिंह यादव के साथ लंबे समय तक संघर्ष करते रहे हैं।
उन्होंने लिखा कि ‘मेरे जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते दिल्ली में हमारी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने 1996-97 में कैबिनेट से 2001 की जनगणना में जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लिया था जिस पर बाद में एनडीए की वाजपेयी सरकार ने अमल नहीं किया। 2011 की जनगणना में फिर जातिगत गणना के लिए हमने संसद में जोरदार मांग उठाई।
मैंने, स्व॰ मुलायम सिंह जी, स्व॰ शरद यादव जी ने इस मांग को लेकर कई दिन संसद ठप्प किया और बाद में प्रधानमंत्री स्व॰ मनमोहन सिंह जी के सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कराने के आश्वासन के बाद ही संसद चलने दिया।
देश में सर्वप्रथम जातिगत सर्वे भी हमारी 17 महीने की महागठबंधन सरकार में बिहार में ही हुआ। जिसे हम समाजवादी जैसे आरक्षण, जाति गणना, समानता, बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता इत्यादि 30 साल पहले सोचते है उसे दूसरे लोग दशकों बाद फॉलो करते है।
जातिगत जनगणना की मांग करने पर हमें जातिवादी कहने वालों को करारा जवाब मिला। अभी बहुत कुछ बाक़ी है। हम इन संघियों को हमारे एजेंडा पर नचाते रहेंगे।’
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जाति जनगणना को आगामी राष्ट्रीय जनगणना में शामिल करने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए इसे 140 करोड़ देशवासियों के समग्र हित में लिया गया ऐतिहासिक निर्णय बताया है।
मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सीसीपीए ने जाति जनगणना को आगामी जनगणना में शामिल करने का निर्णय लिया है, जो अभूतपूर्व एवं स्वागत योग्य है।
यह सामाजिक न्याय और डेटा आधारित सुशासन को वास्तविकता में बदलने का ऐतिहासिक प्रयास है।” उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल सरकारी योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में सहायक होगा, बल्कि इससे समाज के हर वर्ग को विकास की मुख्यधारा में जोड़ने की दिशा में मजबूती मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल की सार्वजनिक मामले समिति (सीसीपीए) की बैठक में सामान्य जनगणना के साथ-साथ जातिवार जनगणना कराई जाने का भी फैसला किया गया है।
सरकार के इस फैसले को क्रांतिकारी माना जा रहा है, जिससे नीति निर्धारण और संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण में उल्लेखनीय सुधार आने की उम्मीद है।