Yogi on food adulteration खाद्य मिलावट को बताया कानूनी अपराध

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मुख्यमंत्री योगी ने खाद्य पदार्थों में मिलावट और नकली दवाओं के कारोबार को ‘सामाजिक अपराध’ करार देते हुए कहा मिलावटखोरी बंद करो, नहीं तो चौराहों पर लगेगी फोटो

लखनऊ। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने खाद्य पदार्थों में मिलावट(food adulteration) और नकली दवाओं के कारोबार को ‘सामाजिक अपराध’ करार देते हुए कहा कि यह जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय है। इस पर किसी भी प्रकार का समझौता अक्षम्य होगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि राज्य सरकार की ‘जीरो ‘टॉलरेंस’ नीति के तहत मिलावटखोरों, नकली दवाओं के कारोबारी नेटवर्क और इस अपराध में संलिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त व निर्णायक कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे लोगों को सार्वजनिक रूप से चिह्नित के लिए समर्पित टीमें बनाई जाएं जो लगातार निगरानी करें। साथ ही पेशेवर रक्तदाताओं की पहचान कर इस पर भी प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आमजन का स्वास्थ्य राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस जिम्मेदारी का किया जाए और उनकी तस्वीरें प्रमुख निर्वहन पूरी पारदर्शिता और प्रतिबद्धता चौराहों पर लगाई जाएं। के साथ होना चाहिए।

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मुख्यमंत्री ने आज खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में निर्देश दिया कि तेल, घी, मसाले, दूध, पनीर जैसी दैनिक उपभोग की वस्तुओं की जांच यथासंभव उत्पादक इकाई पर ही की जाए। दूध व दुग्ध उत्पादों की विशेष रूप से सघन जांच बनाने के उद्देश्य से एफएसडीए द्वारा पासवर्ड – संरक्षित बारकोड प्रणाली लागू की गई है। इससे नमूनों के विश्लेषण की गोपनीयता और निष्पक्षता सुनिश्चित होती है।

राज्य में खाद्य व औषधि प्रयोगशालाओं के नेटवर्क का तेजी से विस्तार हुआ(food adulteration)

 

मुख्यमंत्री को बताया गया कि राज्य में खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं के नेटवर्क का तेजी से विस्तार हुआ है।
पूर्व में कार्यरत छह प्रमुख मंडलों के अलावा अब अलीगढ़, अयोध्या, आजमगढ़, बरेली, बस्ती, चित्रकूट, कानपुर, मिर्जापुर, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर और देवीपाटन मंडलों में भी नई प्रयोगशालाएं और कार्यालय स्थापित किए गए हैं। लखनऊ, गोरखपुर और झांसी में प्रयोगशाला भवनों का उच्चीकरण किया गया है। साथ ही, लखनऊ, मेरठ और वाराणसी में तीन आधुनिक माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं, जिनमें सूक्ष्मजीव, प्रोटोजोआ, विषाणु, जीवाणु, माइक्रोटॉक्सिन्स तथा अन्य रोगकारक जीवों की जांच संभव हो पाई है। लखनऊ और मेरठ में परीक्षण भी प्रारंभ हो चुके हैं।

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मुख्यमंत्री ने इन प्रयोगशालाओं के संचालन व रखरखाव हेतु एक ‘कॉर्पस फंड’ स्थापित करने का सुझाव दिया। नकली औषधियों के कारोबार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि पुलिस के साथ विभागीय समन्वय को और बेहतर बनाया जाए ताकि प्रवर्तन कार्यवाहियों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सके। औषधियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही कार्रवाइयों की समीक्षा भी बैठक में की गई।

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