भारत की दिव्या देशमुख ने हमवतन कोनेरू हम्पी को टाईब्रेक में हराकर जॉर्जिया के बटुमी में फिडे महिला शतरंज (Chess) विश्व कप का खिताब जीत लिया। 19 वर्षीय दिव्या ने पहले गेम में संतुलित ड्रॉ खेलने के बाद, मौजूदा महिला विश्व रैपिड चैंपियन हम्पी के खिलाफ दूसरे रैपिड गेम में जीत हासिल की।
दूसरे गेम में काले मोहरों से खेलते हुए दिव्या ने अनुभवी हम्पी की अंतिम गेम की गलतियों का फायदा उठाकर बढ़त हासिल की और अपने युवा करियर की सबसे बड़ी जीत हासिल की।
मैच के निर्णायक क्षण में जब मुकाबला भारी मोहरों के साथ ड्रॉ की ओर बढ़ रहा था, हम्पी ने मोहरों की बलि देकर मैच को आगे बढ़ाने की कोशिश की। लेकिन दिव्या के दबाव में उनका यह दांव नाकाम रहा। दिव्या ने जल्द ही अपनी रानी और एक हाथी की अदला-बदली की, ताकि वह ऐसा एंडगेम बना सके जहाँ वह अपनी मोहरों और समय की बढ़त के दम पर बढ़त हासिल कर सकें और ऐसा ही हुआ।इस खिताब के साथ दिव्या ने न केवल 50,000 अमेरिकी डॉलर की इनामी राशि जीती, बल्कि वे भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर और चौथी भारतीय महिला जीएम बन गईं। इससे पहले यह उपलब्धि केवल कोनेरू हम्पी, हरिका द्रोणावल्ली और आर वैषाली को मिली थी। यह जीत उन्हें महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट 2026 में भी जगह दिलाती है, जहां से विश्व चैंपियनशिप का मार्ग खुलता है।

दिव्या ने इस उपलब्धि को “किस्मत और मेहनत का संगम” बताया। उन्होंने कहा कि इस टूर्नामेंट से पहले उनके पास कोई जीएम नॉर्म नहीं था, लेकिन विश्व कप जीतने के साथ ही सभी नॉर्म पूरे हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देशभर के नेताओं और दिग्गज खिलाड़ियों ने दिव्या को बधाई दी। विश्व की महान खिलाड़ी जूडित पोल्गर ने भी उनकी इस जीत को भारतीय शतरंज के लिए ऐतिहासिक बताया। नागपुर की इस बेटी ने साबित कर दिया कि जुनून और साहस से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। उनकी यह सफलता देशभर के युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।











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