चेन्नईः तमिलनाडु की राजनीति में गठबंधनों का बोलबाला रहा है। खासकर हाल के वर्षों में में गठजोड़ दलों की संख्या में इजाफा हुआ है। 2024 के लोकसभा चुनाव में AIADMK और भाजपा ने अकेले चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें निराशाजनक नतीजे मिले। राज्य में 2026 में चुनाव होने हैं। इसलिए दोनों ने मिलकर काम करने का फैसला किया। भाजपा अभी भी दक्षिणी राज्य में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि तमिलनाडु चुनाव गठबंधनों का खेल है।
AIADMK-भाजपा समझौते का उद्देश्य DMK विरोधी वोटों को एकजुट करना और एकजुट विपक्ष पेश करना है। यह स्पष्ट है कि AIADMK को भाजपा की तुलना में वोट ट्रांसफर के माध्यम से अधिक लाभ होगा। बीजेपी के डीएमके विरोधी वोट एआईएडीएमके को मिल सकते हैं। लेकिन एआईएडीएमके से बीजेपी में ट्रांसफर कम हो सकता है।
अगर ऐसा है तो बीजेपी उस गठबंधन के साथ क्यों आगे बढ़ रही है जिसके लिए उसे अपने तमिलनाडु अध्यक्ष के अन्नामलाई की कुर्बानी देनी पड़ी? और एआईएडीएमके उस पार्टी के साथ गठबंधन क्यों कर रही है जिसे डीएमके, उसका द्रविड़ प्रतिद्वंद्वी, तमिल विरोधी के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है? बीजेपी ने एआईडीएएमके डील के लिए अन्नामलाई की कुर्बानी दी?
यद्यपि अन्नामलाई के नेतृत्व वाली भाजपा लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी, लेकिन आईपीएस से राजनेता बने अन्नामलाई ने पार्टी को अपना वोट शेयर 7 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने में मदद की। तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी और अन्नाद्रमुक के अलग-अलग रास्ता अपनाने के करीब दो साल बाद दोनों दलों ने अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए एक बार फिर हाथ मिला लिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रदेश में 2026 का विधानसभा चुनाव अन्नाद्रमुक अध्यक्ष एडप्पादि के. पलानीस्वामी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
वरिष्ठ भाजपा नेता शाह ने परिसीमन, नीट और त्रि-भाषा नीति जैसे मामलों को उठाकर प्रमुख मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सत्तारूढ़ द्रमुक की आलोचना की। पलानीस्वामी ने कहा कि राजग में शामिल होकर अन्नाद्रमुक सम्मानित महसूस कर रही है। तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच अमित शाह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक एस गुरुमूर्ति से परामर्श किया और दोपहर होते-होते तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक के साथ भाजपा का गठबंधन तय कर दिया।
दोनों दल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा थे, जिन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ा और इसके दो साल बाद प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी एक साथ मैदान में उतरे थे। एक समय तो इस गठबंधन ने आम चुनाव में 39 में से 30 सीट जीती थीं।’’











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