Caste Census: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीपीए) ने आगामी जनगणना में जाति गणना को मंजूरी दे दी है। बुधवार को कैबिनेट ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए वैष्णव ने कहा, “भारत के संविधान के अनुसार, जनगणना एक संघ का विषय है। कुछ राज्यों ने जातियों की गणना करने के लिए सर्वेक्षण किए हैं, मैं सर्वेक्षण शब्द को दोहरा रहा हूं।
कुछ राज्यों ने इसे अच्छी तरह से किया है, जबकि कुछ अन्य ने गैर-पारदर्शी तरीके से विशुद्ध रूप से राजनीतिक दृष्टिकोण से ऐसे सर्वेक्षण किए हैं। ऐसे सर्वेक्षणों ने राज्य में संदेह पैदा किया है।”
वैष्णव ने कहा, “इन सभी तथ्यों पर विचार करते हुए, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि राजनीति से हमारा सामाजिक ताना-बाना खराब न हो, सर्वेक्षण के बजाय जाति गणना को पारदर्शी रूप से जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए।
इससे हमारे समाज का सामाजिक और आर्थिक ढांचा मजबूत होगा और देश आगे बढ़ता रहेगा।” सरकार ने बुधवार को फैसला किया कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को ‘‘पारदर्शी’’ तरीके से शामिल किया जाएगा।
राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा लिए गए निर्णयों की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना की है।
वैष्णव ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने राजनीतिक कारणों से जाति आधारित सर्वेक्षण कराया गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का संकल्प है कि आगामी अखिल भारतीय जनगणना प्रक्रिया में जातिगत गणना को पारदर्शी तरीके से शामिल किया जाएगा।
भारत में प्रत्येक 10 साल में होने वाली जनगणना अप्रैल 2020 में शुरू होनी थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई।