हमीरपुर जिले में यमुना नदी खतरे के निशान से दो मीटर व बेतवा नदी एक मीटर ऊपर बह रही है, दोनों नदियों के मध्य बसे कुछ डेरो में पानी भर गया वही मुख्यालय के डेढ़ दर्जन गांवों का संपर्क टूट गया है निचले स्थान में बसे लोगो को सुरक्षित आश्रय स्थलो में पहुचाया जा रहा है।
उपजिलाधिकारी सदर कडेदीन शर्मा ने गुरुवार को बताया कि यमुना नदी की खतरे का निशान 103.63 मीटर व बेतवा नदी के खतरे का निशान 104.54 मीटर है इस समय यमुना नदी 105.29 मीटर व बेतवा नदी 105.23 मीटर पर बह रही है दोनो नदिया कम से कम बीस सेंटी मीटर प्रति घंटे की दर से बढत बनाये हुये है जिससे आसपास के डेरो व गांवों को खाली करने का आदेश कर आश्रय स्थलों में लोगो को भेजा जा रहा है। वही केंद्रीय जल आयोग के सहायक अभियंता एच आर रामटेके ने दावा किया है कि बेतवा नदी में माताटीला बांध से व यमुना नदी में चंबल नदी से पानी लगातार आ रहा है जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि नदियों का जल स्तर रात में कम से कम एक मीटर से अधिक बढ़ जायेगा। वही मुख्यालय से करीब दो किलोमीटर दूर टिकरौली मार्ग पर यमुना का पानी भर जाने से करीब डेढ दर्जन गांवों का संपर्क मार्ग टूट गया है वहा पर प्रशासन ने नावों की व्यवस्था कर दी है ताकि किसी भी आपत्ति के समय लोग मुख्यालय आ जा सके। शहर से लगे मोहाल व यमुना घाट व बेतवा घाट की बस्ती में पानी भर जाने के कारण लोगो का आना जाना बंद हो गया है । कुरारा क्षेत्र के सिकरोढी गांव समेत कई गांवों में पानी घुस आया है जिससे मुनादी कराकर गावों वालों को सतर्क कर दिया गया है। बाढ़ से हजारों एकड़ खरीफ की फसल डूब गयी है जिससे किसानों का काफी नुकसान हो गया है वही जानवरों के चारे के लिये किसानो को चिंता खाये जा रही है, कलौतीतीर चंदुलीतीर गांव में ग्रामीणों ने सारा समान सड़क के किनारे रख लिया है वहीं प्रशासन ने डिग्री कालेज कुछेछा व मुख्यालय के कुछ स्कूलों में बाढ़ आश्रय स्थल बना दिया है ताकि पीड़ितों को यही रुकाया जा सके। प्रशासन ने विजली विभाग से आपूर्ति जारी करने के आदेश कर दिये है। वही करीब एक दर्जन गावों के रपटे डूब गये है जिससे लोगो का आना जाना बंद हो गया है।
इसी प्रकार कुरारा विकास खंड क्षेत्र के पारा गांव से कंडोर गांव जाने वाले रपटा में बाढ का पानी भर जाने से दोनो गांव का आवागमन ठप हो गया है। ग्रामीण नाव से आवागमन कर रहे हैं। क्षेत्र के पारा गांव से कंडोर जाने वाली सड़क के बीच में बने रपटा में बेतवा नदी का पानी ऊपर से बह रहा है। जिससे दोनों गांव का संपर्क बंद हो गया है। जिससे ग्रामीणों को नाव से आवागमन करना पड़ रहा है। बेतवा नदी में लगातार पानी बढ़ जाने से नाले में उफान मार रहा है। इससे लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा यमुना नदी में भी बाढ़ का पानी बढ़ने से मनकी गांव में नीचे स्थान पर पानी भर गया है। भोली गांव के मजरा कोतूपुरएपटिया के पास पानी भर रहा है। सिकरोड़ी गांव में भी यमुना नदी का पानी बढ़ रहा है।
बेतवा नदी के जलस्तर में वृद्धि से मोराकांदर, कुम्हऊपुर, पाथिया, कलाली, तीर, हेलापुर, टिकरौली पारा ओझी और बड़ागांव गांव प्रभावि हो रहे हैं। वहीं यमुना नदी की बाढ़ ने सुरौली बुजुर्गए छोटा कछार बड़ा कछार बरुआ और भौंरा गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है । बरुआ और भौंरा गांवों में नाले के माध्यम से यमुना का पानी अंदर घुस गया है जिससे दोनों गांवों का संपर्क मार्ग बाधित हो गया है। बरुआ के ग्राम प्रधान छेदीलाल निषाद ने बताया कि लोगों के आवागमन के लिए नाव की व्यवस्था की गई है। भौंरा के प्रधान सुरेंद्र सिंह भदौरिया के अनुसार गांव के बीच से गुजरने वाले नाले में पानी भर जाने से गांव दो हिस्सों में बंट गया है। इसी प्रकार बेतवा नदी का पानी टिकरौली गांव की सड़क पर आ गया है, जिससे कुछेछा देवगांव मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है। वहीं कुंडौरा गांव के आसपास खेतों में पानी भर जाने से सैकड़ों किसानों की फसलें डूब चुकी हैं और भारी नुकसान की आशंका जताई जा रही है। प्रशासन द्वारा राहत कार्यों के लिए स्थिति पर नजर रखी जा रही हैए लेकिन जलस्तर में और वृद्धि हुई तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
मौदहा तहसील क्षेत्र की एक मात्र चंद्रावल नदी में बाढ़ का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके चलते गुरुवार को एक बार फिर से इस नदी में बाढ़ आने से सिसोलर मौदहा मार्ग में स्थित पढ़ोरी का रपटा डूब गया है । इस रपटा की स्लेब 29 तारीख को आई बाढ़ में पहले ही पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। ऐसे में यहां से गुजरने वालों पर जान का खतरा बना हुआ है। मौदहा तहसील मुख्यालय को सिसोलर क्षेत्र के गांवों को जोड़ने के वाले पढ़ोरी रपटा की स्लैब 29 जुलाई की बाढ़ में बुरी तरह से नष्ट होकर फट चुकी है। ऐसे में इस रपटा से निकलना जान को जोखिम में डालना साबित हो रहा था। इधर 31 जुलाई को पुनः इस नदी में बाढ़ का पानी आने से यह रपटा डूब गया है। जिससे सिसोलर क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोगों को तहसील मुख्यालय और खण्ड विकास कार्यालय सहित एक मात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचने के लिए दो गुनी दूरी तय करके बाया टिकरी अथवा बाया मुंडेरा तिलसरस अरतरा के रास्ते आना जाना पड़ रहा है। इधर लगातार आ रही बाढ़ को देखते हुए इस बात का अंदेशा लगाया जा रहा है कि यह रपटा जल्द ही टूट जायेगा ।











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