अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के खिलाफउठाए गए तीखे व्यापारिक कदमों और विवादित बयानों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दिवस वाराणसी में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करते हुए भारत के आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता और आर्थिक मजबूती का दमदार संदेश दिया। भारत के लिए अपने किसानों, युवाओं और छोटे उद्यमियों की रक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है. हम किसी भी देश के दबाव में न अपने फैसले बदलेंगे, न अपने संकल्प।। यह एक तरह से अमरीका राष्ट्रपति को दो टूक जबाब है। प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ रहा है, और इसके लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘स्वदेशी उत्पादों’ के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।
निश्चित रूप से भारत का यह संकल्प अमरीका की आर्थिक स्थिति पर वह चोट पहुंचायेगा जिसकी अमरीका को कल्पना भी नही होगी। मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहाकि ऐसे समय में जब दुनिया अस्थिरता के दौर से गुजर रही है. भारत को अपने आर्थिक आत्मबल और रणनीतिक नीति-निर्माण पर पूरी तरह ध्यान देना होगा । इतना तो यह है कि डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ा दिया है। भारत पर भारी शुल्क लगाने, पाकिस्तान के साथ रिफायनरी साझेदारी और यहां तक कि भारत से तेल व्यापार खत्म करने की संभावना तक जताई हैं जिससे भारतीयों में डोनाल्ड ट्रंप के रवैये से आघात पहुंचा है। इतना ही नहीं, ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मृत यानी मृत कहकर दुनिया भर में विवाद छेड़ दिया। इस पर पलटवार करते हुए पीएम मोदी ने कहाकि कुछ लोग भारत की ताकत भूल गए हैं। हमारी आर्थिक प्रगति, हमारे युवा और हमारी नीतियां दुनिया के लिए उदाहरण बन रही हैं। 2024 में भारत ने 7.8 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर्ज कराई जो वैश्विक औसत से कहीं बेहतर है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 670 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। जो विश्व में सबसे बड़े भंडारों में से एक है। 2024 में भारत का कुल निर्यात 437 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें 120 अरब डॉलर का व्यापार अकेले अमेरिका के साथ हुआ। क्या इस आकड़े को अमरीका नजर अन्दाज कर सकता है ? 2025-26 के बजट में एमएसएमई क्षेत्र के लिए 2 लाख करोड़ और किसानों के लिए 1.52 लाख करोड़ की सहायता की घोषणा की गई है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि भारत की आर्थिक स्थिति स्थिर ही नहीं, बल्कि लगातार प्रगति की ओर बढ़ रही है।
व्यापार घाटे से नहीं जुड़ा। इसके पीछे लंबी हताशा और अपनी इमेज बचाने की चिंता है। कई चरण की बातचीत के बावजूद दोनों देशों की ट्रेड डील किसी अंजाम तक नहीं पहुंच पाई है। हर डील अपनी शर्तों पर करने वाले ट्रंप कृषि और डेयरी सेक्टर में अमेरिका के लिए खुली छूट चाहते हैं। ऐसा करना भारतीय किसानों के हित में नहीं होगा और सरकार को इस मामले में बिल्कुल भी नहीं झुकना चाहिए। वैसे भी व्यापार एकतरफा फायदे को देखकर नहीं किया जा सकता। हालांकि दूसरी तरफ अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत के साथ असहमति की जो वजहें गिनाई हैं, उसमें रूस से तेल खरीदना प्रमुख है। वैसे तो 2022 तक भारत की तेल आपूर्ति में रूस का हिस्सा सिर्फ 1 प्रतिशत था। आज यह आंकड़ा 35- 40 प्रतिशत है, और जरूरत पड़ने पर इससे पीछे हटना संभव है, क्योंकि अब रूसी तेल पर पहले जितना फायदा नहीं हो रहा फिर भी यहां बात केवल फायदे नहीं, दो देशों के रिश्तों और हक की भी है। भारत की अपनी ऊर्जा जरूरतें हैं।
आखिर अमेरिका ने भी तो उस पाकिस्तान के साथ डील की, जो वैश्विक मंचों पर कई बार आतंकवाद की शरणस्थली साबित हो चुका है। ऐसे में पाक के प्रति अमरीका का लगाव भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। वैसे भी ट्रंप न अपने बयानों पर स्थिर रहते हैं और न पॉलिसी पर ऐसे में जिन देशों ने उनके साथ डील की है, उन्हें भी कोई फायदा नहीं हुआ। ब्रिटेन, वियतनाम से डील के बावजूद टैरिफबढ़ रहा है। इसी तरह ईयू के कई देश नाराज हैं क्योंकि आयात शुल्क औसत 4.8 प्रतिशत से बढ़कर अब 15 प्रतिशत हो चुका है।
ऐसे में भले ही कुछ नेता या विदेशी नेता कुछ भी कहें भारत को इससे कोई फर्क नही पड़ता । प्रवासियों के खदड़ने की घटना के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अचानक से भारत को लेकर बेहद आक्रामक हो गए हैं। उन्होंने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफलगाने का ऐलान किया है और यह भी चेताया है कि रूस से व्यापार की एवज में कुछ एक्स्ट्रा टैक्स भी लगाया जाएगा। ट्रंप का हालिया बयान केवल टैरिफ या ऐसे में भले ही कुछ नेता या विदेशी नेता कुछ भी कहें भारत को इससे कोई फर्क नही पड़ता । प्रवासियों के खदड़ने की घटना के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अचानक से भारत को लेकर बेहद आक्रामक हो गए हैं। उन्होंने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफलगाने का ऐलान किया है और यह भी चेताया है कि रूस से व्यापार की एवज में कुछ एक्स्ट्रा टैक्स भी लगाया जाएगा। ट्रंप का हालिया बयान केवल टैरिफया व्यापार घाटे से नहीं जुड़ा। इसके पीछे लंबी हताशा और अपनी इमेज बचाने की चिंता है। कई चरण की बातचीत के बावजूद दोनों देशों की ट्रेड डील किसी अंजाम तक नहीं पहुंच पाई है।












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